Pandit | Pandit Online
top of page

श्रीअनन्तपूजापद्धतिः

पूजा की  सामग्री

1. सिन्दूर          

2. उच्चासन (पिरही, टेबल- छोटा)   

3. पण्डित जी के बैठने वाला आसन (अगर पंडित जी उपलब्ध हैं तो)       

4. पूजा करने वाले का आसन

5. शालग्राम / अगर शालग्राम उपलब्ध नहीं हो तो -1. सुपारी(Betel) अथवा का उपयोग करे

6. पूजा करने वाला पात्र (प्लेट) – इसका उपयोग अक्षत, तिल, जौ, चन्दन को रखने मे आता है

7. पंचपात्र

8. घंटी

9. शंख

10. रक्तचन्दन (लाल चन्दन)

11. चन्द्रौटा (जिस पर चन्दन Rub किया किया जाता है)

12. आम के पल्लव को तांबा, पीतल, कांस्य, चाँदी अथवा स्वर्ण के लोटा मे पानी भरकर रखना है [ 13, 16]

13. कलश (लोटा)

14. चतुर्मुख दीप (चार मुँह वाला दीप होना चाहिए)*

15. अछिञ्जल (जल) एक लोटा में चाहिए

16. केला का पत्ता (२) होना चाहिए अथवा तांबा, पीतल, कांस्य, चाँदी या  स्वर्ण का बृहत् थाल ( थारी)

17. कुश (कुश के अभाव में दुर्वा या इशको छोरा भी जा सकता है)

18. तिल (भींगा हुआ)

19. जौ (भींगा हुआ)

20. अक्षत(चावल) (भींगा हुआ)

21.पञ्चामृत - (कच्चा गाय का दूध ,दही, घी,गुड़(शक्कर) , मधु, मिला कर बनाये)

22. धूप /अगरबत्ती

23. फूल की माला

24. तुलसी

25. दुर्वा (दूबि) 

26. बेलपत्र

27. पान,

28. सुपारी

29. प्रसाद , पंचमेवा

30. पीत वस्त्र ( पीला कपड़ा,अभाव में लाल कपड़ा) भगवान के लिए ।

31. जनेऊ (२ ) होना चाहीए । (पंडित और यजमान के लिए)

32. कर्पूर –दीप (आरती)

33. सूखा प्रसाद (गेहूँ का आटा या सूजी को कम लौ पर हल्का लाल होने तक भुने) ठंडा होने के बाद चीनी मिलाए  

34. चौरठ- चावल तथा गुड़ मिला कर तैयार करें

35. गीला शीतल प्रसाद - दूध,दही,केला,चीनी को मिला कर शीतल प्रसाद बनाएँ

36. चूड़ा

37. दही,

38. चीनी/ शक़्क़र

39. पका हुआ केला

40. पान- सुपारी

41. विभवानुसार-सामायिक फल – पाँच तरह के

42. हलुआ,पूड़ी,मालपुआ, (ऐच्छिक)

43. खाजा, लड्डू (ऐच्छिक)

44. मिठाई

45. पार्थिव शिवलिंग(मिट्टी के शिवलिंग)

46. हवन के लिये नारियल,स्रुव, आज्यस्थाली,

47. पिठार – चावल को पाँच घंटे तक पानी मे भिंगो कर पीस  लें अथवा चावल के आटा को मिला कर मोटा घोल तैयार करें

48. सज़ावाट केला बृक्ष से या अपने मन अनुसार

पूजा की व्यवस्था

पिठार से अरिपन बनाएँ

उच्चासन (पिरही, टेबल- छोटा) पर पिठार लगायें

कलश (लोटा) पर पिठार लगायें तथा कलश में जल, आम का पल्लव, सुपारी रख कर उच्चासन पर रखें

अथ अनन्तपूजनविधिः(पूजाविधान)

भाद्रशुक्लचतुर्दश्यां तत्र कृतनित्यक्रियो व्रती पूजास्थानमागत्य  जलपूर्णकलशं संस्थाप्य तत्र आम्रपल्लवं दत्वा तदुपरि कुशनिर्मितं फणासप्तकमण्डितं चतुर्भुजम् अनन्तं ताम्रपात्रे अष्टदलपद्मं विलिख्य तदुपरि नूतनडोरकं च संस्थाप्य शुद्धासने उपविश्य हस्ते त्रिकुश-जलमादाय- ऊँ  अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं  स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। ऊँ  पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।। इत्यनेन पूजोपकरणानि आत्मानञ्च अभिषिच्य पूजाम् आरभेत् ।

 

यह अनन्त भगवान की पूजा पूर्व अथवा उत्तरमुख होकर  करने का प्रावधान है । पूजन करने वाले पूजा पर्यन्त व्रत में रहेगें । किन्तु आवश्यकता  हो तो फलाहार कर सकते हैं। स्नान करने के पश्चात् नवीन वस्त्र या धुला हुआ वस्त्र धारण करेगें ।  शुद्ध आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जायेगें ।जल में गंगाजल  मिला देगें ।  

 

अथ श्रीमदनन्तव्रतविधिः- भविष्ये-अनन्तं हृदये कृत्वा शुचिस्तत्र समाहितः। संकल्पपूर्वं नद्यादौ स्नात्वा सन्तप्यं देवताः।। गोमयेन समालिप्य मण्डलं तत्र कारयेत्। सर्वतोभद्रमालिख्य कलशं तत्र स्थापयेत्।। वेष्टितं वस्त्रयुग्मेन घृतमृन्मयमव्रणम्। सुपूजितं पल्लवाद्यैः पुष्पमालाभिरेव च।। तत्र पात्रं न्यसेद्धैमं राजतं ताम्रवंशजम्। तत्राष्टदलमालिख्य तत्राऽनन्तं प्रपूजयेत्।। कृत्वा दर्भमयं देवं फलसप्तकमण्डितम्। तस्याग्रतो दृढं सूत्रं कुंकुमाक्तं प्रपूजयेत्।। सूत्रैरात्ममितैर्डोरं चतुर्दशभिराहितम्। चतुर्दशग्रन्थिभिस्तु सव्यवृतैः सुनिर्मितम्।। ततः प्रस्थस्य पक्वानां पूपानां सुविनिरमितम्। अर्धं विप्राय दातव्यंमर्धं भोजनमात्मनः।। शक्या च दक्षिणां दद्यात् वित्तशाठ्यविवर्जितः। डोरकं दक्षिणे पुसां स्त्रीणां वामे करे न्यस्येत्।। 

अनन्त पूजन के दिन स्नानादि पवित्र होकर आसन पर बैठकर गाय गोबर से पूर्व में नीपे हुए स्थान पर अरिपन आदि पूर्वक स्थापित कलश पर कुश निर्मित अनन्त /शालग्राम  पर पूजन प्रारम्भ करें।

 

पञ्चदेवतापूजाः- दिन में सूर्यादिपञ्चदेवता की पूजा का विधान है।

 

 

त्रिकुशहस्तः अक्षतान्यादायः- ऊँ भूर्भुवः स्वः सूर्यादिपञ्चदेवताः इहागच्छत इह तिष्ठत

 दाहिने हाथ में तेकुशा तथा अक्षत  लेकर ये मंत्र पढेगें - ऊँ भूर्भुवः स्वः सूर्यादिपञ्चदेवताः इहागच्छत इह तिष्ठत इसे केले के पत्ते पर उपर से बाएं तरफ से रखेंगे

 

इत्यावाह्य एतानि पाद्यार्घाचमनीय-स्नानीय पुनराचमनीयानि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  ये मंत्र पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय-स्नानीय पुनराचमनीयानि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

 

चन्दन  - इदमनुलेपनम्   ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्   ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

 

अक्षत - इदमक्षतम्   ऊँ  सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र  पढेंगे- इदमक्षतम् ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

 

फूल – इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर  भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगें-  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे- इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः

 

एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

 

जल – इदमाचमनीयम्   ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्   ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

 

पुष्प - एष पुष्पाञ्जलिः  ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

फूल  हाथ में लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः  ऊँ सूर्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः ।

विष्णुपूजा –

 

यव-तिलान्यादाय - ऊँ भूर्भुवः स्वः भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ।

दाहिने हाथ में तिल लेकर ये मंत्र  पढेंगे -  ऊँ भूर्भुवः स्वः भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ।   इसे  केले के  पत्ते पर ऊपर से बाएं तरफ से दूसरे  स्थान पर रखेंगे।

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः

अर्घा में जल  लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः

 

चन्दन -इदमनुलेपनम्  ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः

 

तिल - एते तिलाः  ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः

दाहिने हाथ में तिल लेकर ये मंत्र  पढेंगे - एते तिलाः  ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर  भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

 

जल – इदमाचमनीयम्   ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्   ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

 

पुष्प - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

फूल  हाथ में लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ भगवते श्रीविष्णवे नमः ।

अथ सङ्कल्पः

 

कुशत्रय-तिल-जलान्यादायः- ऊँ अद्य भाद्रे  मासि शुक्ले  पक्षे चतुर्दश्यां तिथौ अमुकगोत्रस्य मम श्री अमुकशर्मणः सपरिवारस्य सर्ववाधा-प्रशमन-धनधान्य-सुतान्वितत्व-सर्वपापक्षय-त्रिविधोत्पात-प्रशमन-शरीरारोग्य-सकलमनोऽभिलषित-कामावाप्तिकामः सांगसपरिवार-श्रीमदनन्तपूजनं  तत्कथाश्रवणं चाऽहं करिष्ये (२) ।  परकृते करिष्यामि।

दाहिने हाथ में कुश-तिल-जल को लेकर अमुक मंत्र को पढते हुए – ऊँ अद्य भाद्रे मासि शुक्ले पक्षे अमुकतिथौ अमुकगोत्रस्य मम श्री अमुकशर्मणः सपरिवारस्य सर्ववाधा-प्रशमन-धनधान्य-सुतान्वितत्व-सर्वपापक्षय-त्रिविधोत्पात-प्रशमन-शरीरारोग्य-सकलमनोऽभिलषित कामावाप्तिकामः सांगसपरिवार-श्रीमदनन्तपूजनं  तत्कथाश्रवणं चाऽहं करिष्ये /परकृते करिष्यामि।  सङ्कल्प करेंगे । नोट – अन्य हेतु करिष्ये के स्थान पर करिष्यामि का प्रयोग करेंगे।

 

नवग्रहपूजाः-

अक्षतान्यादायः- ऊँ भूर्भुवः स्वः साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहाः इहागच्छत इह तिष्ठत ।

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर यह मंत्र  पढेंगे -  ऊँ भूर्भुवः स्वः साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहाः इहागच्छत इह तिष्ठत । इसे  केले पत्ते पर बाएं तरफ से आठवें   स्थान पर रखेंगे।

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेंगे - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

अक्षत -इदमक्षतम्   ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमक्षतम् ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहों का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि  ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

जल – इदमाचमनीयम्   ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्   ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

पुष्प - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

फूल  हाथ में लेकर साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहों का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ साधिदैवत-सप्रत्यधिदैवत-विनायकादिपञ्चकसहित नवग्रहेभ्यो नमः।

इन्द्रादिदशदिक्पालपूजाः-

अक्षतान्यादायः – ऊँ भूभुर्वः स्वः श्री इन्द्रादिदशदिक्पालाः इहागच्छत इह तिष्ठत  ।

 

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर यह मंत्र  पढेंगे -  ऊँ भूभुर्वः स्वः श्री इन्द्रादिदशदिक्पालाः इहागच्छत इह तिष्ठत ।   इसे  केले पत्ते पर  बाएं तरफ से सातवें   स्थान पर रखेंगे।

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेंगे - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

अक्षत - इदमक्षतम्   ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमक्षतम् ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर इन्द्रादिदशदिक्पाल  का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि  ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

जल – इदमाचमनीयम्   ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्   ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

पुष्प - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

फूल  हाथ में लेकर लक्ष्मी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

अथ षोडशोपचार-अनन्तपूजाविधिः

 

ततोऽनन्तं पूजयेत् । तद्यथा प्राणप्रतिष्ठा –यव तिलान्यादाय   (सति सम्भवे शालग्रामशिलोपरि ) – ओं मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमन्तनोत्वरिष्ठं यज्ञ समिमं दधातु । विश्वेदेवा स इह मादयं तामों प्रतिष्ठ ।

दहीनें हाथ में तिल को लेकर ये मंत्र को पढेंगे। ओं मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमन्तनोत्वरिष्ठं यज्ञ समिमं दधातु । विश्वेदेवा स इह मादयं तामों प्रतिष्ठ ।

 

ओं भूर्भुवः स्वः भगवन् श्रीअनन्तदेव ! इहागच्छ, इह तिष्ठ, इह सुप्रतिष्ठतो भव ।।इति कुशप्रतिमायां प्राणप्रतिष्ठां विधाय

कुश की प्रतिमा पर प्राणप्रतिष्ठा करें ओं भूर्भुवः स्वः भगवन् श्रीअनन्तदेव ! इहागच्छ, इह तिष्ठ, इह सुप्रतिष्ठतो भव ।।इति कुशप्रतिमायां प्राणप्रतिष्ठां विधाय

 

 ध्यानपुष्पं –ॐ वन्दे चतुर्भुजं देवं शंखचक्रगदाधरम्। आम्रपल्लववर्णाभं पद्मासनसमन्वितम्।। ॐआगच्छानन्त देवेश तेजोराशे जगत्पते । क्रियमाणामिमां पूजां गृहाण पुरुषोत्तम्।।                                          

दोनों हाथो में फुल लेकर  भगवान को ध्यान करते हुए ये मंत्र को पढेंगे ।

ॐ वन्दे चतुर्भुजं देवं शंखचक्रगदाधरम्। आम्रपल्लववर्णाभं पद्मासनसमन्वितम्।।

ॐआगच्छानन्त देवेश तेजोराशे जगत्पते । क्रियमाणामिमां पूजां गृहाण पुरुषोत्तम्।।

 

आवाहनम् – ॐआगच्छानन्त देवेश तेजोराशे जगत्पते । क्रियमाणामिमां पूजां गृहाण पुरुषोत्तम्।।                                          

दोनों हाथो में फुल लेकरभगवान को ध्यान करते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ॐआगच्छानन्त देवेश तेजोराशे जगत्पते । क्रियमाणामिमां पूजां गृहाण पुरुषोत्तम्।।                                          

पुष्पासनम् – ओं नानारत्नसमायुक्तं कार्तस्वरविभूषितम् । आसनं देव देवेश गृहाण पुरुषोत्तम ।। इदं पुष्पासनम् ।

फुल को दहीनें हाथ में लेकर भगवान को ध्यान करते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं नानारत्नसमायुक्तं कार्तस्वरविभूषितम् । आसनं देव देवेश गृहाण पुरुषोत्तम ।। इदं पुष्पासनम् ।

 

पाद्यम् –ओं गंगादिसर्वतीर्थेभ्यो मया प्रर्थणया हृतम् । तोयमेतत् सुखस्पर्शं पाद्यार्थं प्रतिगृह्यताम्।। इदं पाद्यम् ।

ओं गंगादिसर्वतीर्थेभ्यो मया प्रर्थणया हृतम् । तोयमेतत् सुखस्पर्शं पाद्यार्थं प्रतिगृह्यताम्।। इदं पाद्यम् ।

 

अर्घम् – ओं अनन्तानन्तदेवेश अनन्तगुणसागर। अनन्तानन्तरूपोऽसि गृहाणार्घ्य नमोऽस्तुते।।

अर्घा में जल लेकरये मंत्र को पढेंगे । ओं अनन्तानन्तदेवेश अनन्तगुणसागर। अनन्तानन्तरूपोऽसि गृहाणार्घ्य नमोऽस्तुते।।

आचमनम् – ओं मन्दाकिन्यां तु यद् वारि सर्वपापहरं शुभम् । तदिदं कल्पितं देव सम्यगाचम्यतां त्वया ।। इदमाचमनीयम् ।

ओं मन्दाकिन्यां तु यद् वारि सर्वपापहरं शुभम् । तदिदं कल्पितं देव सम्यगाचम्यतां त्वया ।। इदमाचमनीयम् ।

स्नानम् –  ओं गङ्गा च यमुना चैव नर्मदा च सरस्वती । तीर्थानां पावनं तोऽयं स्नानार्थ प्रतिगृह्राताम् ।। इदं स्नानीयं जलम् ।

शंख में गंगाजल को मिलाते हुए दहीनें हाथो में लेकर भगवान को स्ननान कराते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं गङ्गा च यमुना चैव नर्मदा च सरस्वती । तीर्थानां पावनं तोऽयं स्नानार्थ प्रतिगृह्राताम् ।। इदं स्नानीयं जलम् ।

पञ्चामृतम् –ओं अनाथनाथ सर्वज्ञ गीर्वाणपरिपूजित । स्नानं पञ्चामृतैर्देव गृहाण पुरुषोत्तम ।। इदं (१) पञ्चामृतम्।

 

जल में  दूध-दही-धृत-चीनी-मधु को मिलाकर ये मं त्र को पढेंगे । ओं अनाथनाथ सर्वज्ञ गीर्वाणपरिपूजित । स्नानं   पञ्चामृतैर्देव गृहाण पुरुषोत्तम ।।

इदं (१) पञ्चामृतम्।

 

शुद्धोदकम् – ओं परमानन्दतोयाब्धौ निमग्नस्तव मूर्तये । साङ्गोपङ्गमिदं स्नानं कल्पयामि प्रसीद मे ।। इदं शुद्धोदकम् ।(सति सम्भवे पुरुषसूक्तेन चात्र अभिषेकं विधेयम्)

सम्भव हो तो पुरुषसूक्त से यहाँ अभिषेक करें ओं परमानन्दतोयाब्धौ निमग्नस्तव मूर्तये । साङ्गोपङ्गमिदं स्नानं कल्पयामि प्रसीद मे ।। इदं शुद्धोदकम् ।(सति सम्भवे पुरुषसूक्तेन चात्र अभिषेकं विधेयम्)

वस्त्रम् –  ओं पीताम्बरं शुभं देव सर्वकामार्थसिद्धये । मया निवेदितं भक्तया गृहाण सुरसत्तम ।। इदं पीतवस्त्रं वृहस्पतिदैवतम् । वस्त्राङ्गमाचमनीयम् ।

दहीने हाथ में पिला वस्त्र (शुद्ध –वस्त्र) को लेकर मंत्र को पढते हुए भगवान को समर्पित करेगें । ओं पीताम्बरं शुभं देव सर्वकामार्थसिद्धये । मया निवेदितं भक्तया गृहाण सुरसत्तम ।। इदं पीतवस्त्रं वृहस्पतिदैवतम् । वस्त्राङ्गमाचमनीयम् ।

यज्ञोपवीतम् – ओं दामोदर नमस्तेस्तु ज्ञाहि मां भवसागरात् । ब्रह्रासूत्रं सोत्तरीयं गृहाण सुरसत्तम ।। इमे यज्ञोपवीते वृहस्पतिदैवते भगवते । यज्ञोपवीताङ्गमाचमनीयम् ।

दहीने हाथ में जनऊ को लेते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं दामोदर नमस्तेस्तु ज्ञाहि मां भवसागरात् । ब्रह्रासूत्रं सोत्तरीयं गृहाण सुरसत्तम ।। इमे यज्ञोपवीते वृहस्पतिदैवते भगवते । यज्ञोपवीताङ्गमाचमनीयम् ।

चन्दनम् – ओं श्रीखण्डचन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् । विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ।। इदं श्रीखण्डचन्दनम् ।इदं रक्तानुलेपनम् ।

दहीने हाथो से लाल चन्दन तथा उजला चन्दन को फुलो में लगाकर ये मंत्र को पढेंगे । ओं श्रीखण्डचन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् । विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ।। इदं श्रीखण्डचन्दनम् ।इदं रक्तानुलेपनम् ।

यवतिलाः – ओं तिला यवाःसुरश्रेष्ठाः कम्बूजाश्च सुशोभनाः। वासुदेव जगन्नाथ प्रीत्यर्थं स्वीकुरु प्रभो ।। एते यवतिलाः ।

दहीने हाथ में तिल को लेते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं तिला यवाःसुरश्रेष्ठाः कम्बूजाश्च सुशोभनाः। वासुदेव जगन्नाथ प्रीत्यर्थं स्वीकुरु प्रभो ।। एते यवतिलाः ।

पुष्पाणी – ओं सुगन्धीनि सुपुष्पाणि देशकालोद्भवानि च । मयाऽऽनीतानि पूजार्थं, प्रीत्या स्वीकुरु प्रभो।। एतानि पुष्पाणि ।

फुल को दहीनें हाथ में लेकर भगवान को ध्यान करते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं सुगन्धीनि सुपुष्पाणि देशकालोद्भवानि च । मयाऽऽनीतानि पूजार्थं, प्रीत्या स्वीकुरु प्रभो।। एतानि पुष्पाणि ।

पुष्पमाल्यम् – ओं नानापुष्पविचित्राढ्यां पुष्पमालां सुशोभनाम् । प्रयच्छामि च देवेश गृहाण परमेश्वर ।। इदं पुष्पमाल्यम् ।

दहीने हाथ में फुलो के माला को लेकर ये मंत्र को पढेंगे । ओं नानापुष्पविचित्राढ्यां पुष्पमालां सुशोभनाम् । प्रयच्छामि च देवेश गृहाण परमेश्वर ।। इदं पुष्पमाल्यम् ।

तुलसीपत्राणि – ओं तुलसीं हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम् । भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्चयामिहरिप्रियाम् । एतानि तुलसीपत्राणि । एतानि दूर्वादलानि भगवते  श्रीअनन्ताय नमः

दहीने हाथ में तुलसी-पात को लेकर ये मंत्र को पढेंगे । ओं तुलसीं हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम् । भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्चयामिहरिप्रियाम् । एतानि तुलसीपत्राणि ।

हाथ में दुबि लेकर मन्त्र पढें। एतानि दूर्वादलानि भगवते श्रीअनन्ताय नमः

आचमनीयम् – ओं कर्पूरवासितं तोयं मन्दाकिन्याः समाहृतम्। आचम्यतां महाभाग मया दत्तं हिभक्तितः ।। इदमाचमनीयम् । 

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र को पढेंगे । ओं कर्पूरवासितं तोयं मन्दाकिन्याः समाहृतम्। आचम्यतां महाभाग मया दत्तं हिभक्तितः ।। इदमाचमनीयम् । 

 

अथ अंगपूजा- गन्धपुष्पाक्षतान्येकीकृत्य 

पुष्प चन्दन अक्षत को एक साथ मिलाकर क्रमशः लेते रहें।

1.ओं अनन्ताय नमः, पादौ पूजयामि 

2.ओं संकर्षणाय नमः,गुल्फौ पूजयामि

3.ओं कालात्मने नमः, जानुनी पूजयामि

4.ओं विश्वरूपिणे नमः, जघने पूजयामि

5.ओं विश्वरूपाय नमः, कटिं पूजयामि

6.ओं विश्वकर्त्रे नमः, मेढ्रं पूजयामि

7.ओं पद्मनाभाय नमः,नाभिं पूजयामि

8.ओं परमात्मने नमः, हृदयं पूजयामि

9.ओं श्रीकण्ठाय नमः, कण्ठं पूजयामि

10.शस्त्रास्त्रधारिणे नमः, बाहू पूजयामि

11.ओं वाचस्पतये नमः, मुखं पूजयामि

12.ओं कपिलाय नमः, चक्षुषी पूजयामि

13.ओं केशवाय नमः, ललाटं पूजयामि

14.ओं सर्वात्मने नमः, शिरः पूजयामि

 

धूप – ओं वनस्पतिरसो दिव्यो गन्धाढ्यः सुमनो- हरः। आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्।। एष धूपः ।

दहीने हाथ में धूप को लेकर ये मंत्र को पढेंगे । गन्धपुष्पाक्षतान्येकीकृत्य ओं वनस्पतिरसो दिव्यो गन्धाढ्यः सुमनो- हरः। आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्।। एष धूपः ।

 

दीपः – ओं दीपं गृहाण भोऽनन्त जाज्वल्यमानमद्भुतम्। त्वं गृहाण सदा देव रक्ष मां घोरसागरात्।। एष दीपः ।

दहीने हाथ में दीप को लेकर ये मंत्र को पढेंगे । ओं दीपं गृहाण भोऽनन्त जाज्वल्यमानमद्भुतम्। त्वं गृहाण सदा देव रक्ष मां घोरसागरात्।। एष दीपः ।

नैवेद्यानि – अन्नं चतुर्विधं स्वादु पयो दधि घृतं तथा भक्त्या सम्पादितं देव सापूपं गृह्यतां विभो।। एतानि नानाविधनैवेद्यानि ।

दहीनें हाथ में नैवेद्य को लेकर भगवान को समर्पित करते हुए ये मंत्र को पढेंगे । अन्नं चतुर्विधं स्वादु पयो दधि घृतं तथा भक्त्या सम्पादितं देव सापूपं गृह्यतां  विभो।। एतानि नानाविधनैवेद्यानि ।

 

फलानि – ओं फलान्यमृतकल्पानि स्थापितानि पुरतस्तव। तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ।। एतानि नानाविधानि फलानि ।

दाहिने हाथ में फल को लेकर ये मंत्रको पढेंगे । ओं फलान्यमृतकल्पानि स्थापितानि पुरतस्तव। तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ।। एतानि नानाविधानि फलानि ।

 

आचमनीयम् – ओं सर्वपापहरं दिव्यं गाङ्गेयं निर्मल जलम् । दत्तमाचमनीयं ते गृहाण पुरुषोत्त ।। इदमाचमनीयम् ।

अर्घा में जल को लेकर ये मंत्र को पढेंगे । ओं सर्वपापहरं दिव्यं गाङ्गेयं निर्मल जलम् । दत्तमाचमनीयं ते गृहाण पुरुषोत्त ।। इदमाचमनीयम् ।

ताम्बूलम् – ओं पूगीफलं महद्दिव्यं नागबल्लीदलैर्युतम् । कर्पूरादिसमायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्राताम् ।। एतानि ताम्बूलानि । इदमाचमनीयम् ।

दहीनें हाथ में पान और सुपारीको लेते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं पूगीफलं महद्दिव्यं नागबल्लीदलैर्युतम् । कर्पूरादिसमायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्राताम् ।। एतानि ताम्बूलानि । इदमाचमनीयम् ।

भूषणार्थ द्रव्यम् – ओं काञ्चनं रजतो पेतं नानारत्नसमन्वितम् । भूषणार्थं च देवेश गृहाण जगतीपते ।। इदं भूषणार्थं द्रव्यम् ।

कुछ द्रव्य कोदहीनें हाथ में लेकर ये मंत्र को पढेंगे । ओं काञ्चनं रजतो पेतं नानारत्नसमन्वितम् । भूषणार्थं च देवेश गृहाण जगतीपते ।। इदं भूषणार्थं द्रव्यम् ।

पुष्पाञ्जलिः- ओं मालतीमल्लिकापुष्पैर्नागचम्पकसंयुतैः। पुष्पांजलिं गृहाणेमं पादाम्बुजयुगार्पितम्।।

दोनो हाथो में फुल को लेकर ध्यान करते हुए ये मंत्र को पढेंगे । ओं मालतीमल्लिकापुष्पैर्नागचम्पकसंयुतैः। पुष्पांजलिं गृहाणेमं पादाम्बुजयुगार्पितम्।।

एष पुष्पांजलिः ओं साङ्गसायुध –सवाहन-सपरिवारभगवते  श्री अनन्ताय  नमः ।

दाहिने हाथ में  एक फुल को लेकर ये मंत्र को पढेंगे । एष पुष्पांजलिः ओं साङ्गसायुध –सवाहन-सपरिवारभगवते  श्री अनन्ताय  नमः । 

 

इति षोडशोपचार – श्रीअनन्तपूजाविधिः ।

बलभद्र पूजाः-

 

तिलानादाय - ऊँ भूर्भूवः  स्वः श्रीबलभद्रइहागच्छ इहतिष्ठ ।

दाहिने हाथ में तिल लेकर यह मंत्र  पढेंगे -  ऊँ भूर्भूवः  स्वः श्री बलभद्रायइहागच्छ इहतिष्ठ ।इसे  केले पत्ते पर बाएं तरफ से दशवें स्थान पर रखेंगे।

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ बलभद्राय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि    ऊँ श्री बलभद्राय  नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री बलभद्राय  नमः ।

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ बलबद्राय नमः नमः ।

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः  ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ बलभद्राय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री बलभद्राय  नमः ।

 जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री बलभद्राय हनूमते नमः ।

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ श्री बलभद्राय हनूमते नमः ।।

पुष्प – ओं बलभद्रं महात्मानं हलिनं लांगलायुधम्। कादम्बरीमदोन्मत्तं नमामि बलभद्रकम्।। एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री बलभद्राय नमः ।

सुमन्तपूजा-

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ सुमन्तवे नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि    ऊँ श्री सुमन्तवे  नमः ।

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री सुमन्तवे   नमः ।

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ सुमन्तवे नमः ।

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः  ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ सुमन्तवे नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री सुमन्तवे  नमः ।

 

 जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

 

 जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ श्री सुमन्तवे  नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।।

 

 पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

फूल  हाथ में लेकर सुमन्तजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री सुमन्तवे नमः ।

 

दीक्षापूजा-

  

अक्षतानादाय - ऊँ भूर्भुवः स्वः श्रीदीक्षे इहागच्छ इह तिष्ठ।

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र  पढेंगे -  ऊँ भूर्भुवः स्वः श्रीदीक्षे इहागच्छ इह तिष्ठ।   इसे  केले के  पत्ते पर ऊपर से बाएं तरफ से दूसरे  स्थान पर रखेंगे।

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि ऊँ श्रीदीक्षायै नमः

अर्घा में जल  लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि ऊँ श्रीदीक्षायै नमः

 

चन्दन -इदमनुलेपनम्  ऊँ श्रीदीक्षायै नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्रीदीक्षायै नमः

 

इदमक्षतम्  ऊँ श्रीदीक्षायै नमः

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमक्षतम्  ऊँ श्रीदीक्षायै नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि  ऊँ श्रीदीक्षायै नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर  भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ श्रीदीक्षायै नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्रीदीक्षायै नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्रीदीक्षायै  नमः ।

 

 जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्रीदीक्षायै नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्रीदीक्षायै  नमः ।

 

जल – इदमाचमनीयम्   ऊँ श्रीदीक्षायै  नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्   ऊँ श्रीदीक्षायै  नमः ।

 

 पुष्प - एष पुष्पाञ्जलिः  ऊँ श्रीदीक्षायै  नमः ।

फूल  हाथ में लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः  ऊँ श्रीदीक्षायै  नमः ।

ततश्चतुर्दशग्रन्थिक्रमेण नामकरणम्- ओं अनन्तोऽसि, ओं पुरुषोत्तमोऽसि, ओं हृषिकेशोऽसि, ओं पद्मनाभोऽसि, ओं माधवोऽसि, ओं वैकुण्ठोऽसि, ओं श्रीधरोऽसि, ओं त्रिविक्रमोऽसि, ओं मधुसूदनोऽसि, ओं वामनोऽसि, ओं केशवोऽसि, ओं नारायणोऽसि, ओं दामोदरोऽसि, ओं गोविन्दोऽसि, 

अब सबका पृथक् पृथक् पूजन करें। चौदह गाँठ वाले अनन्तडोरक को हाथ में लेकर क्रमशः मन्त्र पढते हुए प्रत्येक गाँठ को स्पर्श करें। - ओं अनन्तोऽसि, ओं पुरुषोत्तमोऽसि, ओं हृषिकेशोऽसि, ओं पद्मनाभोऽसि, ओं माधवोऽसि, ओं वैकुण्ठोऽसि, ओं श्रीधरोऽसि, ओं त्रिविक्रमोऽसि, ओं मधुसूदनोऽसि, ओं वामनोऽसि, ओं केशवोऽसि, ओं नारायणोऽसि, ओं दामोदरोऽसि, ओं गोविन्दोऽसि, 

 

अनन्ताय नमः

 

 जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ अनन्ताय नमः

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ अनन्ताय नमः

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री अनन्ताय नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री अनन्ताय नमः

 

यवतिलानादाय -  एते यवतिलाः   ऊँ अनन्ताय नमः ।

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ अनन्ताय नमः ।

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ अनन्ताय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ अनन्ताय नमः ।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

 

 जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री अनन्ताय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री अनन्ताय नमः

 

 जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ अनन्ताय नमः श्री ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ अनन्ताय नमः श्री ।

 

पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री अनन्ताय नमः ।

 

पुरुषोत्तमाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ  । पुरुषोत्तमाय नमः

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ  । पुरुषोत्तमाय नमः

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ पुरुषोत्तमाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ पुरुषोत्तमाय नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ पुरुषोत्तमाय नमः।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ पुरुषोत्तमाय नमः।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

 

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ पुरुषोत्तमाय नमः।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ पुरुषोत्तमाय नमः।

 

 पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः ।

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः।

 

 

हृषिकेशाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ हृषिकेशाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ हृषिकेशाय नमः ।

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

 

यवतिलानादाय -एते यवतिलाः   ऊँ हृषिकेशाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ हृषिकेशाय नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ हृषिकेशाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ हृषिकेशाय नमः ।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे -  इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ हृषिकेशाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ हृषिकेशाय नमः

 

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ हृषिकेशाय नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ हृषिकेशाय नमः ।

 

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए  ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री हृषिकेशाय नमः

 

 

पद्मनाभाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ पद्मनाभाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ पद्मनाभाय नमः ।

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ पद्मनाभाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ पद्मनाभाय नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ पद्मनाभाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ पद्मनाभाय नमः ।  

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे  इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

 

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ पद्मनाभाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ पद्मनाभाय नमः

 

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः

माधवाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ माधवाय नमः 

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ माधवाय नमः

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री माधवाय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री माधवाय नमः ।

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ माधवाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ माधवाय नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ माधवाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ माधवाय नमः ।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री माधवाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री माधवाय नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री माधवाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री माधवाय नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री माधवाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री माधवाय नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री माधवाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री माधवाय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ माधवाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ माधवाय नमः

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री माधवाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री माधवाय नमः

वैकुण्ठाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ वैकुण्ठाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ वैकुण्ठाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः ।

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ वैकुण्ठाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे - एते यवतिलाः   ऊँ वैकुण्ठाय नमः

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ  वैकुण्ठाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ  वैकुण्ठाय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ वैकुण्ठाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ वैकुण्ठाय नमः

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री वैकुण्ठाय नमः

 

श्रीधराय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ श्रीधराय नमः

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ श्रीधराय नमः

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री श्रीधराय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री श्रीधराय नमः ।

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ श्रीधराय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ श्रीधराय नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ श्रीधराय नमः

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ श्रीधराय नमः

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्रीधराय नमः

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्रीधराय नमः

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्रीधराय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्रीधराय नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्रीधराय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्रीधराय नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्रीधराय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्रीधराय नमः

 

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ श्रीधराय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ श्रीधराय नमः

 

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्रीधराय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्रीधराय नमः

त्रिविक्रमाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ त्रिविक्रमाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ त्रिविक्रमाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ त्रिविक्रमाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ त्रिविक्रमाय नमः

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ त्रिविक्रमाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ त्रिविक्रमाय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे -  इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ त्रिविक्रमाय नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ त्रिविक्रमाय नमः ।

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री त्रिविक्रमाय नमः

मधुसूदनाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ मधुसूदनाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ मधुसूदनाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ मधुसूदनाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ मधुसूदनाय नमः

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ मधुसूदनाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ मधुसूदनाय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ मधुसूदनाय नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ मधुसूदनाय नमः ।

पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री मधुसूदनाय नमः

वामनाय नमः-

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ वामनाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ वामनाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ वामनाय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ वामनाय नमः ।

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ वामनाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ वामनाय नमः


पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ वामनाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे- इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ वामनाय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री वामनाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री वामनाय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री वामनाय नमः

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री वामनाय नमः

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री वामनाय नमः

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री वामनाय नमः

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री वामनाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री वामनाय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ वामनाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ वामनाय नमः

पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री वामनाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री वामनाय नमः

केशवाय नमः

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ केशवाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ केशवाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री केशवाय नमः

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे -  इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री केशवाय नमः

यवतिलानादाय -  एते यवतिलाः   ऊँ केशवाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ केशवाय नमः

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ केशवाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ केशवाय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री केशवाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री केशवाय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री केशवाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री केशवाय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री केशवाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री अनन्ताय नमः बलभद्राय  नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री केशवाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री अनन्ताय नमः बलभद्राय हनूमते नमः ।

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ केशवाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ श्री अनन्ताय नमः बलभद्राय हनूमते नमः ।।

पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री केशवाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री अनन्ताय नमः बलभद्राय नमः ।

नारायणाय नमः-

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ नारायणाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ नारायणाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री नारायणाय नमः।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री नारायणाय नमः।

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ नारायणाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ नारायणाय नमः

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ नारायणाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ नारायणाय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री नारायणाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री नारायणाय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री नारायणाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री नारायणाय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री नारायणाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री नारायणाय नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ नारायणाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ नारायणाय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ नारायणाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ नारायणाय नमः

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री नारायणाय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री नारायणाय नमः

दामोदराय नमः-

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ दामोदराय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ दामोदराय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

यवतिलानादाय -  एते यवतिलाः   ऊँ दामोदराय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ दामोदराय नमः

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ दामोदराय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ दामोदराय नमः ।

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे -  इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री दामोदराय नमः ।

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री दामोदराय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री दामोदराय नमः

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ दामोदराय नमः।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ दामोदराय नमः ।

पुष्प – एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री दामोदराय नमः

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री दामोदराय नमः

गोविन्दाय नमः-

 

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ गोविन्दाय नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेगें - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ऊँ गोविन्दाय नमः ।

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री अ गोविन्दाय नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ऊँ श्री अ गोविन्दाय नमः ।

 

यवतिलानादाय - एते यवतिलाः   ऊँ गोविन्दाय नमः

दाहिने हाथ में तिल यव लेकर ये मंत्र  पढेंगे – एते यवतिलाः   ऊँ गोविन्दाय नमः

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ गोविन्दाय नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ऊँ गोविन्दाय नमः ।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

 

तुलसीपत्र - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ऊँ श्री गोविन्दाय नमः

 

जल – इदमाचमनीयम्  ऊँ गोविन्दाय नमः

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्  ऊँ गोविन्दाय नमः

पुष्प –एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

फूल  हाथ में लेकर बलभद्रजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  एष पुष्पाञ्जलिः ऊँ श्री गोविन्दाय नमः ।

 

पुष्पमादाय-

हाथ में फूल लेकर ध्यान करें - ओं अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव। अनन्तरूपे विनियोजयस्व अनन्तरूपाय नमो नमस्ते।। नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्त्रमूर्तये सहस्त्रपादाक्षिशिरोरुवाहवे। सहस्त्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्त्रकोटीयुगधारिणे नमः।। हृदिस्थं सर्वदेवानामिन्द्रियाणां गुणार्तिगम्। सर्वपापहरं  देवं प्रणमामि जनार्दनम्।। अनन्तरूपेण बिभर्षि पृथ्वीमनन्तलक्ष्मीं विदधासि तुष्टः। अनन्तभोगान् प्रददासि तुष्टो ह्यनन्तमोक्षं पुरुषे प्रहृष्टः।। प्रणमामि हृषिकेशं वासुदेवं जगद्गुरुम्। सृष्टिस्थितिविनाशानां कर्तारं प्रणमाम्यहम्।। राक्षसानामरिं नौमि नौमि दैत्यारिमर्दकम्। जगतां हितकर्तारं नौमि पंकेरुहेक्षणम्।। जन्म जन्म कृतं यच्च बाल्ययौवनवार्द्धके। वृद्धिमायातु तत्पुण्यं पापं हर हलायुध।। भक्तिहीनं क्रियाहीनं मन्त्रहीनं यदर्चितम् । यथेद्दिष्टामिमां पूजां परिपूर्णां कुरुष्व मे।। पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पापसम्भवः। त्राहि मां पुम्डरिकाक्ष हरे संसारसागरात्।। अनन्तकामान् मे देहि सर्वकामफलप्रद। अनन्ताय नमस्तुभ्यं पुत्रपौत्रान् प्रवर्द्धय।। अनन्तः सर्वकामानामधिपः सर्वकामदः। व्रतेनानेन सुप्रीतो भवत्विह महान् मम।। नमस्ते देवदेवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते कमलाकान्त नमस्ते ह्यमरप्रिय।। नमस्ते सर्वभूतेश वासुदेव नमोस्तु ते।।

ततः हस्ते सम्बद्धं जीरेमडोरकं स्पृशन् – ओं संवत्सरकृतां पूजां संपाद्य विधिवन्मम। व्रजेदानीं सुरश्रेष्ठ ह्यनन्तफलदायक।। न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि यानीह कर्माणि मया कृतानि। सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व प्रयाहि तुष्टः पुनरागमाय।।

बाँह पर बंधे हुए पुराने अनन्त को स्पर्श करते हुए मन्त्र बोलें - ओं संवत्सरकृतां पूजां संपाद्य विधिवन्मम। व्रजेदानीं सुरश्रेष्ठ ह्यनन्तफलदायक।। न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि यानीह कर्माणि मया कृतानि। सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व प्रयाहि तुष्टः पुनरागमाय।।

इति जीर्णडोरकं विसृज्य नवीनडोरकमादाय तैजसपात्रे गोक्षीरं कृत्वा जीर्णेन मन्थयन्- किं मन्थसे इत्यन्योक्ते क्षीरनिधिम् इति तं वदेत् । पुनः किं मृग्यसे  इत्यन्येनोक्ते , अनन्तम् इति वदेत्। ततः प्राप्तस्त्वया इत्यन्येनोक्ते प्राप्तो मया इत्युक्त्वा , शिरसि निधाय प्रणम्य उचितस्थाने स्थापयेत्।

पुराने अनन्तडोरक को उतार कर पात पर रखें तथा नूतन डोरक लेकर काँसा के बाटी (फूल के बाटी) में गाय का दूध भरकर उस दूध में नूतन डोरक को डालकर पुराने डोरक से मथे।

गौरीशंकर पूजा-

 

अक्षतान्यादाय - ओं श्रीगौरीशङ्करौ  इहागच्छतम्  इह तिष्ठतम् । इत्यावाह्रा स्थापयित्वा

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर यह मंत्र  पढेंगे - ओं श्रीगौरीशङ्करौ , इहागच्छतम् , इह तिष्ठतम् । इसे  केले पत्ते पर ऊपर से बाएं तरफ से ग्यारहवें स्थान पर रखेंगे।

जलं गृहीत्वा - एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीय –पुनराचमनीयानि –ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

अर्घा में जल  लेकर  यह मंत्र  पढेंगे - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि    ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

चन्दन - इदमनुलेपनम्  ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में चन्दन  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमनुलेपनम्  ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

सिन्दूर - इदं ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

दाहिने हाथ से फूल में सिन्दूर  लगाकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं सिन्दूराभरणम् ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

अक्षत - इदमक्षतम्   ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदमक्षतम् ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

पुष्प - इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को   लेकर हनूमान जी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे -  इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

एक बेलपत्र/बेलपत्रों को  लेकर ये मंत्र  पढेंगे - इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

दूर्वा ( दूबि) - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे - इदं दूर्वादलं  / एतानि दूर्वादलानि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

जल - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

अर्घा में जल लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

जल – इदमाचमनीयम्  ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

अर्घा में जल को लेकर  ये मंत्र  पढेंगे - इदमाचमनीयम्   ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

 

पुष्प - एष पुष्पाञ्जलिः ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।

फूल  हाथ में लेकर गौरीशङ्करजी का ध्यान करते हुए ये मंत्र  पढेंगे - एष पुष्पाञ्जलिः ओं गौरीशङ्कराभ्यां नमः ।।

ब्रह्मणपूजनम् -

 

अर्घपात्रे – जल अक्षत-पुष्प-चन्दनादिकमादाय ओं ब्रह्राणे नमः (२) इति सर्वं भूमौ निःक्षिपेत् ।

अर्घा में जल-अक्षत- फूल -चन्दन को मिलाकर ये मंत्र  पढेंगे - ओं ब्रह्राणे नमः।    उक्त मंत्र पढकर जल-अक्षत- फूल -चन्दन को भूमि पर रखेंगे।

।। श्रीः ।।

अथ श्रीअनन्त– कथाप्रारम्भः

अथ अनन्तव्रतकथा

सूत उवाच-अरण्येवर्तमानास्ते पाण्डवा दुःखकर्षिताः।कृष्णं दृष्ट्वा महात्मानं पणिपत्येदमव्रुवन्।1।

युधिष्ठिर उवाच – कृष्ण आख्याहि भगवन् व्रतं यद्विश्वदिर्लभम्।यस्याचरणमात्रेण ईप्सितं लभते नरः।2।

कृष्ण उवाच-अनन्तव्रतमाहात्म्यं सर्वपापप्रणाषनम्।सर्वकामप्रदं नृणां स्त्रीणां चैव विशेषतः।3।

शुक्लपक्षे चतुर्दष्यां मासि भात्रपदे भवेत्।तस्याचरणमात्रेण सर्वपापैः प्रमुच्यते।4।

युधिष्ठिर उवाच- कृष्ण कोऽयं त्वयाख्यातो योनन्त इति विश्रुतः।किं शेषनाग आहोस्विदनन्तस्तक्षकःस्मृतः।5।

परमात्माऽथ वाऽनन्त उताहो ब्रह्म उच्यते ।एष कोऽनन्तसंज्ञो वै तथ्यं ब्रूहि केशव।6।

कृष्ण उवाच-अनन्त इत्यहं पार्थ मम रूपं निबोधय।आदित्यादिषु वारेषु यः कालमुपपद्यते ।7।

कलाकाष्ठामुहूर्तादि दिनरात्रिशरीवरान्।पक्षो मासर्तुवर्षादि युगकल्पव्यवस्थया।8।

योऽयं कालो मयाख्यातः सोनन्त इति कीरितितः। सोहं कालोऽवतीर्णोत्र भुवो भारावतारणात्।9।

दानवानां विनाशाय वसुदेवकुलोद्भवः।अनन्तं विद्धि मां पार्थ कृष्णं विष्णुं हरिं शिवम्।10।

ब्रह्माणं भास्करं सोमं  सर्वव्यापिनमीश्वरम्। विश्वरूपं महाकायं सृष्टिसंहारकारकम्।11।

प्रत्ययार्थं मया पार्थ तव रूपं प्रदर्शितं ।पूर्वमेव महाबाहो योगिध्येयमनुत्तमम्।12।

विश्वरूपमनन्तंच यस्मिन्निन्द्राश्चतुर्दश।वसवो द्वादशादित्या रूद्रा एकादशानिलाः।13।

सप्तषर्यः समिद्राश्च पर्वताः सरितो द्रुमाः।नक्षत्राणि दिशो भूमिः पातालं भूर्भुवस्तथा।14।

मा कपरुष्वात्र सन्देहं सोऽहं पार्थ न संशयः।15।

युधिष्ठिर उवाच-अनन्तव्रतमाहात्म्यं विधिं ब्रूहि जनार्दन।किं पुण्यं किं फलं चाऽस्य विधानंचास्य कीदृशम्।16।

केन चादौ पुरा चीर्णं मर्त्ये केन प्रकाशितम्।एतत्सर्वं प्रयत्नेन विस्तार्य वद मे प्रभो।17।

श्रीकृष्ण उवाच-आसीत् पुरा कृतयुगे सुमन्तुर्नाम वै द्विजः।वशिष्ठगोत्रे चोत्पन्नःसुरूपांच भृगोः सुताम्।18।

दीक्षानाम्नी चोपयेमे गृह्योक्तविधिना नृप ।तस्याः कालेन संदाता दुहिता शुभलक्षणा।19।

शीलानाम सुशीला सा वर्द्धते पितृवेश्मनि।माता तस्यास्तु काले द्वरदाहेन पीडिता।20।

विननाश नदीतीरे मृता स्वर्गपुरं ययौ ।सुमन्तुश्च ततोऽन्यां वै धर्मपुत्रसुतां पुनः।21।

उपयेमे विधानेन कर्कशां नाम नामतः।दुःशीलां कर्कशां चण्डीं नित्यं कलहकारिणीम्।22।

साऽपि शीला पितुर्गेहे गृहार्चनरता बभौ।कुड्यस्तम्भगृहद्वारे देहलीतोरणादिभिः।23।

वर्णकैश्चित्रकरोन्नीलपीतसितासितैः। स्वस्तिकैःशंखपद्मैश्च अर्चयन्ती दिने दिने।24।

ततःकाले बहुतिथे कौमारव्रत वर्तिनी । पित्रा दृष्टा तदा तेन स्त्रीचिह्ने यौवने स्थिता।25।

कस्मै देया  मया शीला विचार्यैवं सुदुःखितः।एतस्मिन्नेव काले तु कन्यार्थी द्विजपुंगवः।26।

सुमन्तोश्च गृहं प्राप्तः कौम्डिल्यो गतकल्मषः ।सुमन्तुश्च सुशीलां वै कौम्डिल्याय ददौ तदा।27।

गृह्योक्तवेदविधिना विवाहमकरोत्तदा।निवर्त्त्यौद्वाहिकं कर्म प्रोक्तवान् कर्कशां प्रति।28।

किंचिद्धनादिकं देयं जामातुःपरितोषकम्।तच्छुत्वा कर्कशा क्रुद्धा प्रोत्क्षिप्य गृहमण्डनम्।29।

पेट्टालकं दृढं बध्वा प्रययौ पितृवेश्मनि।भोज्यावशिष्टचूर्णेन पाथेयं दत्तवान् द्विजः।30।

कौण्डिल्योऽपि विवाह्यैनां पथि गच्छंछनैः शनैः।शीलां सुशीलामादाय नवोढां गोरथेन च।31।

मध्याह्ने भोज्यवेलायां समुत्तीर्य सरित्तटे ।ददर्श शीला स्त्रीणां च समूहं रक्तवाससाम्।32।

चतुर्दश्यामर्चयन्तं भक्या देवं पृथक् पृथक्।उपगम्य शनैः शीला पप्रच्छ स्त्रीकदम्बकम्।33।

आर्याः किमेतन्मे ब्रूत किन्नाम व्रतमीदृशम्।ता ऊचुर्योषितः सर्वाः शीलां शीलविभूषणाम्।34।

अनन्तव्रतमेतद्धि व्रतेऽनन्तस्तु पूज्यते। साऽब्रवीदहमप्येतत् करिष्ये ब्रतमुत्तमम्।35।

विधानं कीदृशं चास्य किन्दानं कस्य पूजनम्।36।

स्त्रियः ऊचुः-शुक्लपक्षे चतुर्दश्यां मासि भाद्रपदे शुभे ।कृत्वा दर्भमयं देवं सर्वालंकारभूषितम्।37।

पूपं कृत्वा घृतेनैव भक्तियुक्तेन चेतसा। अर्द्धं विप्राय दातव्यं चार्द्धं भुंजीत वै स्वयम्।38।

शक्त्या च दक्षिणां दद्याद्वित्तशाठ्यं न कारयेत्।कर्त्तव्यं तु सरित्तीरे कथां श्रुत्वा हरेरिमाम्।39।

ध्यात्वाऽनन्तं समभ्यर्च्य मण्डले धूपदीपकैः।पुष्पमाल्यैः सुगन्धैश्च नैवेद्यैः पीतवस्त्रकैः।40।

सुरेशं देवदेवेशं पीतवस्त्रं चतुर्भुजम्।तस्याग्रतो दृढं सूत्रं कुमकारक्तडोरकम्।41।

चतुर्दशग्रन्थिसंयुक्तं स्त्री वामे करे न्यसेत्।पुमांश्च दक्षिणे चैव बहुसौख्यप्रदायकम्।42।

मन्त्रेणानेन राजेन्द्र यावद्वर्षं समाप्यते ।43।

अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् सयभ्युद्धर वासुदेव। अनन्तरूपे विनियोजयस्व अनन्तरूपाय नमो नमस्ते।44।

अनेन डोरकम्बध्वा भोक्तव्यं स्वस्थमानसैः।ध्यात्वा नारायणं देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।45।

भुक्त्वा चान्ते व्रजेद् गेहं व्रतं प्रोक्तमिदं तव।योऽनन्तस्य व्रतं कुर्याद् वर्षाणि नव पंच च।46।

सर्वान् कामानवाप्नोति विष्णुलोकं च गच्छति।47।

श्रीकृष्ण उवाच-एवमाकर्ण्य राजेन्द्र प्रहृष्टेनान्तरात्मना ।सापि शीला व्रतंचक्रे करे बध्वा सुडोरकम्।48।

पाथेयशेषं विप्राय दत्वा भुक्त्वा तथैव च।पुनर्जगाम सा हृष्टा गोरथेन स्वमाश्रमम्।49।

भर्त्रा सहैव सा शीला राजमाना स्वमन्दिरे । तेनान्तप्रभावेन बभौ गेधनसंकलम्।50।

गृहाश्रमं श्रिया युक्तं धनधान्यसमाकुलम्। आकुलं व्याकुलंचैव सर्वदाऽतिथिपूजनैः।51।

साऽपि माणिक्यकांचीभिर्मुक्ताहारविभूषिता।दिव्यवस्त्रैश्च संछन्ना सावित्रीप्रतिमाऽभवत्।52।

कदाचिदुपविष्टेन भर्त्रा दृष्टः सुडोरकः ।किमर्थं डोरको बद्धः इत्यपृच्छद् द्विजोत्तमः।53।

शीलोवाच –व्रतं कृतं मया नाथ बद्धोऽनन्तस्य डोरकः।श्रीमदान्धेन विप्रेण संक्षिप्तं त्रोटितं रुषा ।54।

कोऽनन्त इति मूढेन ब्रुवता तेन पापिना । क्षिप्तं ज्वालाकुले वह्नौ हा हा कृत्वा प्रधावति ।55।

शीला गृहीत्वा तत्सूत्रं क्षीरमध्ये समाक्षिपत् । तेन कर्मविपाकेन लक्ष्मीस्तस्य क्षयं गता।56।

गोधनं तस्करैर्नीतं गृहं चापि प्रदीपितम्। यद्यथैवागता लक्ष्मीस्तत्तथैव गता पुनः।57।

स्वजनैः कलहो नित्यं बन्धनं तर्जनं ततः। अनन्ताक्षेपदोषेण दारिद्र्यं पतितं गृहे ।58।

न किंश्चिद् वदते लोकस्तेन सार्धं नराधिप। शरीरेणातिसन्तप्तो मनसाऽपि च दुःखितः।59।

निर्वेदं परमं प्राप्तः कौण्ठिल्यः प्राह तां प्रियाम्।शीले किमेतदुत्पन्नं सहसा शोककारणम्।60।

येनातिदुःखमस्माकं जातः सर्वधनक्षयः। स्वजनैःकलहो गेहे न कश्चिन्मां प्रभाषते।61।

शरीरे तीव्रसन्तापः खेदश्चेतसि दारुणः । ईदृशी दुर्गतिः किम्मे किं कृत्वा सुकृतं भवेत्।62।

प्रत्युवाच ततः शीला सुशीला स्वामिनं प्रति ।63।

शीलोवाच-प्रायोऽनन्तकृताक्षेपात् पापसम्भवजं फलम्।भविष्यति महाभागे तदर्थं यत्नमाचर।64।

तच्छ्रत्वा स च कौण्डिल्यो जगाम गहनं वनम् । विधिवत्कृतसंकल्पो वायुभुक्तजितेन्द्रियः।65।

मनसा ध्यायतेऽनन्तं क्वचिद् द्रक्ष्यामि केशवम्। यस्य चाक्षेपदोषेण संजातं मम निर्द्धनम्।66।

धनादिकं मम गतं दुःखव्याधिसमागमम्। एवं संचिन्तयत्सोऽथ विभ्राम विजने वने ।67।

तत्रापश्यन्महावृक्षं पुष्पितं फलितं तथा । वर्जितं पक्षिसंघातैः कीटकैरभिभक्षितम्।68।

तमपृच्छद् द्विजोऽनन्तः क्वचिद् दृष्टो महाद्रुमः।ब्रूहि सौम्य ममातीव दुःखं चेतसि वर्तते।69।

तेनोक्तश्चूतवृक्षेण नानन्तं वेद्म्यहं द्विज । एवं विनिष्कृतस्तेन गां ददर्श लवत्सकाम्।70।

तृणमध्ये प्रधावन्तीमितश्चेतश्च पाण्डव। सोऽव्रवीद्धेनुके ब्रूहि यद्यनन्तस्त्वयेक्षितः।71।

गौरुवाचाऽथ कौण्डिल्यं नानन्तो वीक्षितो मया । ततो व्रजन् ददर्शाग्रे वृषभं शाद्वले स्थितम्।72।

दृष्ट्वा पप्रच्छ गोस्वामिन्ननन्तो वीक्षितस्त्वया । वृषभस्तमुवाचेदं नानन्तो वीक्षितो मया ।73।

ततो व्रजन् ददर्शाग्रे रम्यं पुष्करणीद्वयं । अन्योन्यजलकल्लोलैर्वीचीकमलशोभितम्  ।74।

छन्नं कमलकिंजलकैः कुमुदोत्पलमण्डितम्।सेवितं भ्रमरैर्हंसैशचक्रवाकोपशोभितम्।75।

तमपृच्छद् द्विजोऽनन्तो भवतीभ्यां प्रलक्षितः ।ऊचतुः पुष्करिण्यौ ते नावाभ्यां वोपलक्षितः।76।

ततो ब्रजन् ददर्शाग्रे नदीतीरेष्वस्थितम्  । दह्यमानं दिवारात्रौ कच्छपं स्थूल विक्रमम् ।77।

तमपृच्छद् द्विजोऽनन्तः कच्छपालोकितस्त्वया । ततोऽवर्वात् कच्छपस्तं नानन्तं वेद्म्यहं द्विज।78।

ततो ब्रजन् ददर्शाग्रे वने तिष्ठति उष्ट्रकम्। तमपृच्छद् द्विजोऽनन्तः क्वचिद् दृष्टस्त्वयोष्टकम्।79।

ततोऽब्रवीदुष्ट्रकस्तं नानन्तो वीक्षितो मया । ततो ब्रजन् ददर्शाग्रे गर्दभं कुंजरन्तथा         ।80।

तावप्युक्तो मुनीन्द्रेण चिन्ताव्याकुलचेतसा ।नावाभ्यां विक्षितोऽनन्तस्ताभ्यामुक्तो द्विजस्तदा।81।

तस्मिन् वने च कौण्डिल्यो विषादमगमत् परम्। दीर्घकालं च निश्वस्य पपात भुवि विह्वलः ।82।

नूनं त्यजाम्यहं प्राणानिति संकल्प्य चेतसि । तस्मिन् क्षीणे सुनिर्विण्णे कौण्डिल्ये ब्राह्मणोत्तमे।83।

कृपयाऽनन्तदेवोऽपि प्रत्यक्षं समजायत । वृद्धब्राह्मणरूपेण इत एहीत्युवाच तम्                 । 84।

नास्ति गम्यस्त्वया विप्र समुद्रो विस्तरोऽग्रतः ।अहमप्यागतस्तस्मादनन्तो   नैव      दृश्यते ।85।

एवं श्रुत्वा ततो वाक्यं सहसा स तपोनिधिः ।वह्निः प्रज्वालितः शीघ्रं मरणाय समुद्यतः    ।86।

वृद्ध ब्राह्मण उवाच- क्वचिद् द्विजवरान्तस्त्वया दग्धः किमग्निना। इत्युक्त्वा दर्शयामास शंखचक्रगदाधरम्।87।

स दृष्ट्र्वा तादृशं रूपमनन्तपराजितम्। पापोऽहं पापकर्माऽहं पापात्मा पापसम्भवः  ।88।

त्राहि मां पुण्डरीकाक्ष सर्वपापहरो भव। अद्य मे सफलं जन्म जीवितं सफलन्तथा    ।89।

यद्दृष्टोसि मया देव करुणादीनवत्सलः। तच्छ्रुत्वाऽनन्तदेवोऽपि दत्वा तस्मै वरत्रयम् ।90।

दारिद्र्यनाशनं धर्म्यं विष्णुलोकं तथाऽक्षयम्। प्रतिगृह्य द्विजोऽप्याह भगवन्तमधोक्षजम्।91।

कौण्डिल्य उवाच – को वृक्षः का च गौः सर्पः किं तत्पुष्करणीद्वयम्। खरश्च कुंजरश्चैव देव मे ब्रूहि तत्त्वतः।92।

अनन्त उवाच –स चूतवृक्षो विप्रोऽसौ विद्वान् वै वेदगर्वितः । विद्या न दत्ता शिष्येभ्यस्तेनासौ तरुतां गतः।93।

यस्त्वया वृषभो दृष्टो लोभार्थी कृषकोऽभवत्।सा च गौर्भ्रमते ज्ञेया ब्राह्ममी बीजहारिणी  ।94।

निःस्वादं जलमस्यैव तेन पापेन दूषिता । स च सर्पो महाकायः सर्वशासास्त्रविशारदः ।95।

ब्रह्मस्वे रमते नित्यं पापात्मा क्रूरविग्रहः। धर्माधर्मव्यवस्थानं तच्च पुष्करणीद्वयम्        ।96।

खरः क्रोधस्त्वया दृष्टः कुंजरो धर्मनिन्दकः। अशास्त्रः कुप्रतिग्राही ग्राहकः पुरुषो भवेत्।97।

उष्ट्रो उष्ट्रो वने रम्ये तेन पापेन क्रन्दति । कच्छपो यस्त्वया दृष्टो नदीतीरे व्यवस्थितः ।98।

दूषितं ब्राह्मणं शास्त्रं तेन पापेन दह्यते । ब्राह्ममं मामनन्तं हि गुह्यं संसारसागरे   ।99।

इत्युक्तं च मया सर्वं विप्र गच्छ पुनर्गृहम्। कुरु तत्र व्रतं चेदं नववर्षाणि पंच च ।100।

ततस्तुष्टः प्रदास्यामि अक्षयस्थानमुत्तमम्। इहापि विविधान् भोगान् भुक्त्वा चापि  मनोरथान्।101।

पुत्रैः पौत्रैः परिवतस्ततो मोक्षमवाप्स्यसि। इति दत्वा वरन्देवस्तत्रैवान्तरधीयत ।102।

कौण्डिल्योऽपि गतो गेहं चकारान्तकव्रतम्। प्रवेशयित्वा स्वगृहं गृहीत्वा शुभडोरकम् ।103।

स्वां पुरीं दर्शयामास दिव्यनारीनरैर्युताम्। तस्यां प्रविश्य स्वात्मानं दिव्यसिंहासने शुभे ।104।

शीलया सह धर्मात्मा भुक्त्वा भोगान् यथेप्सितम्। अन्ते जगाम स्वर्गन्तु नक्षत्रं चाभवत्पुनः ।105।

तत्रैव च समुद्भूतः प्रज्वलन् दृश्यतेऽम्बरे। अनेन व्रतधर्मेण सम्यक् चीर्णेन पाण्डव    ।106।

एतत्ते कथितं राजन् व्रतानां व्रतमुत्तमम्। कीर्तीरायुर्यशो भूमिः श्रीरनन्तप्रसादतः  ।107।

यत्कथाश्रवणेनापि पठनेन नरोत्तमाः। सर्वपापविनिर्मुक्ता यास्यन्ति परमां गतिम् ।108।

संसारसागरगुहासु सुखं विहर्तुं वांछन्ति ये कुरुकुलोद्भव शुद्धसत्वाः ।

सम्पूज्य च त्रिभुवनेशमनन्तरूपं बध्नन्ति दक्षिणकरे शुभडोरकन्ते  ।109।

इति श्रीभविष्यपुराणोक्तश्रीमदनन्तव्रतकथा समाप्ता।।

।। आरती ।।

 

​ऊँ जय जगदीश हरे-


ऊँ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे, भक्त जनों के संकट,क्षण में दूर करें ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।


जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का, सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।


मात पिता तुम मेरे,शरण गहूँ मै किसकी, तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।

 

तुम पूरण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी, पारब्रह्रा परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।


तुम करूणा के सागर,तुम पालनकर्ता मै मूरख फलकामी,मै सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।


तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति, किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।


दीन बन्धु दुःख हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, अपने हाथ उठाओ,द्वार पड़ा तेरे ।
ऊँ जय जगदीश हरे ।।


विषय-विकार मिटाओ,पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ।


ऊँ जय जगदीश हरे

अथ विसर्जनम्

 

तत्र प्रथममारार्तिक्यम् (१)- ऊँ चन्द्रादित्यौ च धरणी विद्युदग्निनस्तथैव च । त्वमेव सर्वज्योतींषि आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम् ।। इदमार्तिक्यं साङ्गायसपरिवाराय भगवते श्री अनन्ताय नमः ।

 

अर्घा में जल लेकर  यह मंत्र पढेंगे और भगवान पर अर्पित करें - ऊँ चन्द्रादित्यौ च धरणी विद्युदग्निनस्तथैव च । त्वमेव सर्वज्योतींषि आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम् ।। इदमार्तिक्यं साङ्गाय सपरिवाराय भगवते श्री अनन्ताय नमः ।

 

 

अथ प्रदक्षिणम् (२)- ओं यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यासमानि च । तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण ! पदे पदे ।।

 

शङ्ख/अर्घा में जल लेकर  यह मंत्र पढेंगे और भगवान अनन्त को अर्पित करेंगे । यह प्रक्रिया चार बार करें । ततः साष्टाङ्ग प्रणाम करें- ओं यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यासमानि च । तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण! पदे पदे ।।

 

पुष्पमादाय-

ओं मालतीमल्लिकापुष्पैर्नागचम्पकसंयुतैः। पुष्पांजलि गृहाणेदं पादाम्बुजयुगार्पितम्।। 

फूल लेकर ध्यानपूर्वक भगवान पर चढावें- ओं मालतीमल्लिकापुष्पैर्नागचम्पकसंयुतैः। पुष्पांजलि गृहाणेदं पादाम्बुजयुगार्पितम्।।

 

जलमादाय-

ओं यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामप्रसिद्ध्यर्थं पुनरागमनाय च।। ओं अनन्तादिसर्वदेवताः पूजिताः स्थ क्षमध्वं स्वस्थानं गच्छत।

अर्घा में जल लेकर विसर्जन करें। मनत्र पढकर पूजीत देवता पर जल चढा दें- ओं यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम्।

इष्टकामप्रसिद्ध्यर्थं पुनरागमनाय च।।

ओं अनन्तादिसर्वदेवताः पूजिताः स्थ क्षमध्वं स्वस्थानं गच्छत।

अब अनन्त धारण करें-

ओं अनन्ताय नमस्तुभ्यं सहस्त्रशिरसे नमः।  नमोस्तु पद्मनाभाय नागानां पतये नमः।। अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव । अनन्तरूपे विनियोजयस्व ह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते । ओं संसारसागरगुहासु सुखं विहर्तुं वांछन्ति ये कुरुकुलोद्भवशुद्धसत्वाः। सम्पूज्य च त्रिभुवनेशमनन्तदेवं बध्नन्ति दक्षिणकरे वरडोरकान्ते ।। ओं इदं डोरकमनन्ताख्यं चतुर्दशगुणात्मकम्। सर्वदेवमयं विष्णो स्वकरे धारयाम्यहम्।। इत्यनेन पुरुषो दक्षिणकरे स्त्री चेत् वामकरे बध्नीयात्।

 

इस मन्त्र को पढकर पुरुष दाहिने बाह में और स्त्री वाँये बाह में धारण करें- ओं अनन्ताय नमस्तुभ्यं सहस्त्रशिरसे नमः।  नमोस्तु पद्मनाभाय नागानां पतये नमः।। अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव । अनन्तरूपे विनियोजयस्व ह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते । ओं संसारसागरगुहासु सुखं विहर्तुं वांछन्ति ये कुरुकुलोद्भवशुद्धसत्वाः। सम्पूज्य च त्रिभुवनेशमनन्तदेवं बध्नन्ति दक्षिणकरे वरडोरकान्ते ।। ओं इदं डोरकमनन्ताख्यं चतुर्दशगुणात्मकम्। सर्वदेवमयं विष्णो स्वकरे धारयाम्यहम्।। इत्यनेन पुरुषो दक्षिणकरे स्त्री चेत् वामकरे बध्नीयात्।

 

अथ दक्षिणादानम्- 

कुशत्रय-तिल जलान्यादाय –

ऊँ अद्य कृतैतत् साङ्ग-सायुध -  सवाहन-सपरिवार-भगवन्-सश्रीअनन्तपूजन-तत्कथा-श्रवणकर्म –प्रतिष्ठा-र्थम् - एतावद्-द्रव्यमूल्यक-हिरण्यमग्निनदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहन्ददे ।ऊँ स्वस्तीति प्रतिवचनम् (१) ।

डा.प्रमोद कुमार मिश्र

सहायक प्राचार्य साहित्य

म.अ.रमेश्वरलतासंस्कृतमहाविद्यालय

दरभंगा

bottom of page